राजस्थान विश्वविद्यालय बॉटनी विभाग की राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस, कोविड महामारी के मध्यनजर मेडिसिनल प्लांट्स का उपयोग बढ़ने से कुछ प्रमुख मेडिसिनल प्लांट्स का अस्तित्व खतरे में

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परिष्कार पत्रिका जयपुर। राजस्थान विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित की जा रही दो दिवसीय कांफ्रेंस प्रारंभ हुई, इस कांफ्रेंस में मुख्य रूप से यह तथ्य उभर कर आया की कोविड महामारी के बाद में कुछ प्रमुख औषधीय प्लांट्स जैसे कि गिलोय, अश्वगंधा, गुग्गल आदि का इम्युनिटी बूस्टर के रूप में ज्यादा उपयोग होने से इनकी सप्लाई एवं डिमांड काफी हद तक बढ़ने से इनके अस्तित्व को बचाने के लिए जर्मप्लाज्म संवर्धन एवं इन सीटू कंज़र्वेसन की बहुत आवश्यकता है। इस राष्ट्रीय कांफ्रेंस के उद्घाटन अवसर पर प्रोफेसर संजीव शर्मा, कुलपति राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर, प्रोफेसर एस के भटनागर गेस्ट ऑफओनर चीफ एडिटर, वैगेटोस स्प्रिंगर शोध पत्रिका तथा डॉ जितेन्द्र वैश्य स्पेशल गेस्ट शोध अधिकारी नेशनल मेडिसिनल प्लांट बोर्ड नई दिल्ली उपस्थित थे। इस अवसर पर देश भर से आये विषय विशेषज्ञों ने अपने व्याख्यान प्रस्तुत किये। इसके अंतर्गत मुख्य विषय के रूप में प्रोफेसर पवन कसेरा जोधपुर विश्विद्यालय ने औषधीय पादपों की संवर्धन तकनीक में नवाचार के प्रयोगों को प्रदर्शित किया, साथ ही जैव तकनीक विधियों के अनुप्रयोग पर प्रोफेसर संजीव शर्मा एवं प्रोफेसर एस के भटनागर ने विशेष तथ्य एवं तकनीक का उल्लेख किया। वनस्थली विद्यापीठ के प्रोफेसर दीपज्योति चक्रवर्ती ने पारम्परिक ज्ञान का आधुनिक तकनीक में समावेश का उल्लेख किया। द्वितीय सत्र में विभिन्न शोधार्थियों द्वारा प्राचीन व नवीनतम ओषधियों, गुणवत्ता, उपलब्धता तथा आपूर्ति विषयों पर शोधपत्र प्रस्तुत किये गए। कांफ्रेंस संयोजक प्रोफेसर रेखा विजयवर्गीय ने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए रूपरेखा को प्रस्तुत किया। विभागाध्यक्ष प्रोफेसर रामअवतार शर्मा ने विभाग में चल रही शोध एवं नवाचार के बारे में बताते हुए प्रतिभागियों से भविष्य में जॉइंट कोलैबोरेशन करने का आव्हान करते हुए सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।

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