
जैविभा विश्वविद्यालय में नए सत्र से प्रवेश प्रारम्भ, एकेडमिक कौंसिल से मिली स्वीकृति
कासं.(विवि)/ परिष्कार पत्रिका लाडनूं। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में अध्ययन-अध्यापन में अब एक विषय और जुड़ गया है। अब यहां राजस्थानी भाषा एवं साहित्य पर बी.ए., एम,ए, और पीएचडी तक किया जा सकेगा। इस सम्बंध में विश्वविद्यालय की एकेडमिक कौंसिल ने अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है। आगामी सत्र से इसकी शुरूआत की जा रही है। राजस्थानी भाषा साहित्य शोध केन्द्र के प्रभारी प्रो. लक्ष्मीकांत व्यास ने बताया कि जैन विश्व ाारती संस्थान की एकेडेमिक कांउसिल द्वारा विश्वविद्यालय में राजस्थानी भाषा और साहित्य के अध्ययन एवं अध्यायन हेतु विभिन्न पाठ्यक्रमों को स्वीकृति प्रदान की गयी है। इस विश्वविद्यालय द्वारा आगामी शैक्षणिक सत्र 2025-26 में स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर पर राजस्थानी भाषा और साहित्य विषय से संबंधित अध्यापन कार्य किया जाएगा। स्नातक स्तर पर बी.ए. कक्षाओं में दो वैकल्पिक विषयों के साथ तृतीय विषय के रूप में राजस्थानी साहित्य को लिया जा सकेगा। बी.ए. पाठ्यक्रम के प्रथम एवं द्वितीय सैमेस्टर में सामान्य हिन्दी अथवा सामान्य अंग्रेजी के साथ सामान्य राजस्थानी का भी चयन किया जा सकेगा। आगामी सत्र से ही एम.ए. स्तर पर भी राजस्थानी साहित्य के पाठ्यक्रम को प्रारम्भ किया जा रहा है। विश्वविद्यालय के राजस्थानी भाषा साहित्य शोध केन्द्र को पीएच. डी. उपाधि हेतु के शोध कार्य करवाने हेतु भी स्वीकृति प्रदान कर दी गयी है। उन्होंने बताया कि स्नातक स्तर पर राजस्थानी साहित्य विषय लेने वाली छात्राओं को जोधपुर की एक संस्था द्वारा छात्रवृति भी प्रदान की जाएगी। जैन विश्वभारती संस्थान प्राच्य विधाओं के अध्ययन-अध्यापन, शोध आदि का प्रमुख केन्द्र है। यहां हिंदी व अंग्रेजी भाषाओं के साथ प्राकृत व संस्कृत के लिए पृथक् विभाग बना हुआ है तथा उनमें व्यापक स्तर पर कार्य किया जा रहा है। भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा जैन विश्वभारती संस्थान को देश का प्राकृत भाषा का प्रमुख केन्द्र बनाने की प्रक्रिया भी चल रही है और अब यह विश्वविद्यालय राजस्थानी भाषा और साहित्य पर भी बड़े पैमाने पर काम शुरू कर रहा है।