विशिष्ठ न्यायालय, अनु जाति/जनजाति अत्याचार निवारण प्रकरण करौली के आदेश की पालना जिला कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक करौली द्वारा नहीं करने पर पीडित के प्रार्थना पत्र पर कोर्ट ऑफ कन्टेम्पट का रैफरेन्स उच्च न्यायालय में कार्यवाही के लिए जिला कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक करोली व थानाधिकारी सपोटरा से जवाब तलब।

Spread the love

परिष्कार पत्रिका जयपुर। विशिष्ठ न्यायालय, अनु जाति/ जनजाति अत्याचार निवारण प्रकरण करौली के आदेश की पालना नही करने पर पडित के प्रार्थना पत्र पर कोर्ट ऑफ कन्टेम्पट की कार्यवाही करने के लिए जिला कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक करोली व थानाधिकारी सपोटरा के खिलाफ उच्च न्यायालय पीठ जयपुर में रैफरेन्स प्रस्तुत किया।
प्रकरण का संक्षिप्त विवरण में दलित पीडित लक्खी बैरवा पुत्र स्व सूका बैरवा व परिवार के सदस्य, निवासी ग्रांम सैमरदा, पुलिस थाना सपोटरा, जिला करौली की भूमि को हडपने के नियत से नामजद आरोपी अतरसिहं गुर्जर, बदन गुर्जर, नरसी गुर्जर, सिया सभी पुत्रान जियालाल गुर्जर व अन्य निवासी गैरई की गुवाडी पुलिस थाना सपोटरा तहसील सपोटरा, जिला करौली के द्वारा बार-बार मारपीट व हमला कर फसल तैयार होने पर कई बार काट कर ले जाने वाले आरोपियों के खिलाफ पुलिस थाना सपोटरा, तहसील सपोटरा जिला करौली के खिलाफ पुलिस थाना सपोटरा में बार-बार अपराध करने की पुर्नावृति होने पर पीडित द्वारा दर्ज एफआईआर एससी/एसटी एक्ट में दर्ज करवाई गई।
आरोपियों द्वारा बार-बार घटना की पुर्नावृति करने पर पीडित के प्रार्थना पत्र के आधार पर एडवोकेट सतीश कुमार व एडवोकेट साकिर भाई द्वारा न्यायालय के समक्ष प्रोटेस्ट पिटीशन पेश कर अपने शारीरिक एवं साम्पतिक अधिकारों की पुलिस सुरक्षा की मांग की गई। जिस पर माननीय न्यायालय द्वारा दिनांक 18-01-2021 को मुलजिम अतरसिंह, बदन, नरसी, सिया पुत्रान जयलाल जाति गुर्जर निवासी गैरई की गुवाडी पुलिस थाना सपोटरा जिला करौली के विरूद्व अपराध अतंगर्त धारा 323, 341, 447 अनुसूचित जाति/ जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 प्रसंज्ञान लिया गया तथा पीडित के अत्याचार निवारण अधिनियम की मंशानुसार उसके शारीरिक व सम्पतियों की संरक्षण हेतू निम्न अन्तरिम आदेश पारित कर निर्देश दिया गया कि अत: जिला कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक करौली को निर्देश दिये जाते है कि वह धारा 10 व 15 ए, अनुसूचित जाति/ जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम में उपबंधित प्रावधानों का पालन कर प्रभावी कार्यवाही कर पीडित के आपेक्षित आराजी से संबंधित साम्पत्यिक व शारीरिक संरक्षण हेतु समुचित उपाय कर इस न्यायालय को सूचित करे। फौजदारी लिपिक को आदेश दिया जाता है वह उक्तआदेश की प्रति संकलित कर धारा 15-ए 8 एससी/एसटी एक्ट के तहत आवश्यक कार्यवाही हेतु पृथक से पत्रावली खोली जावे।
उक्तआदेश के बावजूद जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक करौली व थानाधिकारी सपोटरा ने पीडित को कोई पुलिस सुरक्षा उपलब्ध नही करवाई जिसके कारण पीडित मजबूर होकर गांव से पलायान करना पडा, जिसके कारण उसकी कृर्षि कार्य प्रभावित हुआ, बच्चे विद्यालय जाने से वंचित हो गये, उसके जान-माल का खतरा बना रहा पीडित का पूरा परिवार, महिला, बच्चे, जीवन यापन करने के लिए पालतु मवेशी आदि पूरी तरह से प्रभावित हुये, न्यायालय के आदेश के 3 वर्ष 7 माह बाद भी जिला कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक द्वारा पीडित को पुलिस सुरक्षा उपलब्ध नही करवाई गई।
पीडित के प्रार्थना पत्र पर एडवोकेट सतीश कुमार व एडवोकेट साकिर भाई ने अन्तर्गत धारा 15 कोर्ट ऑफ कन्टेम्पट अधिनियम 1971 के तहत विशिष्ठ न्यायालय मे प्रार्थना पत्र दायर किया जिस पर विशिष्ठ न्यायालय ने जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, करौली व थानाधिकारी नोटिस जार कर कहा गया है कि क्यों न आपके खिलाफ न्यायालय के आदेश की अवेहलना की कार्यवाही की जावे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *