parishkarpatrika – Parishkarpatrika https://parishkarpatrika.com News Website Sun, 25 Aug 2024 04:10:56 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://parishkarpatrika.com/wp-content/uploads/2023/12/cropped-site-icon-32x32.png parishkarpatrika – Parishkarpatrika https://parishkarpatrika.com 32 32 यूरो एशियाटिक स्कूल में धूमधाम से मना जन्माष्टमी उत्सव  https://parishkarpatrika.com/janmashtami-festival-celebrated-with-pomp-in-euro-asiatic-school/ https://parishkarpatrika.com/janmashtami-festival-celebrated-with-pomp-in-euro-asiatic-school/#respond Sun, 25 Aug 2024 04:10:54 +0000 https://parishkarpatrika.com/?p=1465

चित्रकूट स्थित यूरो एशियाटिक स्कूल में जन्माष्टमी का उत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर बच्चों ने भगवान श्रीकृष्ण की झांकियां बनाईं और उनकी पूजा-अर्चना की। स्कूल के बच्चों ने भगवान कृष्ण की वेशभूषा में तैयार होकर उनकी लीलाओं का मंचन किया। इस अवसर पर स्कूल की टीचर्स ने बच्चों को भगवान कृष्ण के जन्म की कहानी भी बताई।

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अध्यात्म पथ पर तीव्र गति से आगे बढ़ने के लिए साधना व सेवा का संकल्प लेना होगा – श्रीधरी दीदी  https://parishkarpatrika.com/to-move-forward-rapidly-on-the-spiritual-path-one-will-have-to-take-a-pledge-of-spiritual-practice-and-service/ https://parishkarpatrika.com/to-move-forward-rapidly-on-the-spiritual-path-one-will-have-to-take-a-pledge-of-spiritual-practice-and-service/#respond Mon, 08 Jul 2024 03:47:35 +0000 https://parishkarpatrika.com/?p=1328 जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की कृपा प्राप्त प्रचारिका एवं राधागोविंद पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट जयपुर की अध्यक्षा सुश्री श्रीधरी दीदी द्वारा दिव्य प्रवचन एवं रसमय संकीर्तन में भक्तों ने आनंद उठाया ! कार्यक्रम का शुभारंभ हरि गुरु की भव्य महाआरती के साथ हुआ । इसके बाद गुरु महिमा पर प्रकाश डालते हुए दीदी जी ने सभी साधकों को अध्यात्म पथ पर तीव्र गति से आगे बढ़ने के लिए साधना व सेवा का संकल्प लेने हेतु प्रेरित किया । पश्चात् ‘लाखों महफ़िल जहाँ में यूँ तो तेरी महफ़िल सी महफ़िल नहीं है’ संकीर्तन कराकर हरि गुरु के दिव्य करुणामय दरबार की महिमा गाई । ‘बलिहारी है तिहारी गुरु बलिहारी’ संकीर्तन पर दोनों हाथ उठाकर सभी साधकजन झूमते नज़र आये ।

सत्संग के पश्चात् दीदी का जन्मदिवस बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया गया सभी साधकों ने दीदी को प्रेमपूर्वक शुभकामनायें दी । कार्यक्रम में सत्संगी बच्चों द्वारा भावभक्तिपूर्ण नृत्य व गायन आदि सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये। अंत में हरि गुरु को भोग अर्पित किया गया। इसके बाद हरि गुरु पूजन सम्पन्न करवाकर दीदी ने सभी साधकों को प्रसाद व अयोध्या के रामलला का अत्यंत सुंदर चित्रपट उपहार के रूप में दिया । भोजन प्रसादी के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम संयोजक शरद गुप्ता ने बताया की श्रीधरी दीदी के जनदिवस के उपलक्ष्य में आयोजित इस विशेष सत्संग कार्यक्रम में जयपुर,दौसा, लालसोट, बयावर के सैंकड़ो साधक एवं ट्रस्ट के मुख्य पदाधिकारीगण भी उपस्थित रहे।

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सद्गुरु एवं भगवान में भेद नहीं : श्रीधरी दीदी https://parishkarpatrika.com/there-is-no-difference-between-sadhguru-and-god-shridhari-didi/ https://parishkarpatrika.com/there-is-no-difference-between-sadhguru-and-god-shridhari-didi/#respond Sun, 30 Jun 2024 05:04:18 +0000 https://parishkarpatrika.com/?p=1282

न्यू सांगानेर रोड़ सोडाला स्थित हॉटेल रॉयल अक्षयम में आयोजित नौ दिवसीय धारावाहिक प्रवचन श्रृंखला के आठवें दिवस प्रेम मंदिर, श्री वृंदावन धाम से छोटी काशी गुलाबी नगरी जयपुर पधारी जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की शिष्या सुश्री श्रीधरी जी ने भक्तों की भारी भीड़ को संबोधित करते हुए वेद से लेकर रामायण तक समस्त धर्मग्रंथों के प्रमाण देते हुये सिद्ध किया कि किसी वास्तविक श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठ महापुरुष को गुरु रूप में वरण किये बिना कोई भी जीव भगवान तक नहीं पहुँच सकता। सद्गुरु के अभाव में वो कभी अपने सनातन संबंधी ईश्वर तक नहीं पहुँच सकता।
साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि गुरु और भगवान दोनों में कोई भेद नहीं होता। दोनों एक ही होते हैं, अतएव गुरु की महिमा समझकर मनुष्य को उनकी शत प्रतिशत आज्ञाओं का पालन करना चाहिए और उनके सदुपदेशों को जीवन में उतारना चाहिए। किन्तु उनके दिव्य आचरणों का अनुसरण करने की कुचेष्टा कभी नहीं करनी चाहिए एवं गुरु के प्रति स्वप्न में भी दुर्भावना से बचना चाहिए क्योंकि हमारे शास्त्रों में ये अक्षम्य अपराध बताया गया है।
सुश्री श्रीधरी जी ने गुरु तत्व पर प्रकाश डालते हुये कहा की सही गुरु को पहचानने के लिए हमें कुछ महत्वपूर्ण शास्त्रीय सिद्धांतों को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए। वास्तविक संत कभी सांसारिक आशीर्वाद नहीं दिया करते, वे कोई चमत्कार इत्यादि दिखाकर लोकरंजन भी नहीं करते और कभी श्राप इत्यादि देकर किसी का अमंगल नहीं करते। इसके साथ ही वे शिष्य परम्परा भी स्थापित नहीं करते अर्थात कान फूँक कर,दीक्षा इत्यादि देकर चेले नहीं बनाते। कभी बहिरंग वेषभूषा या बाह्य आचरण इत्यादि देखकर मनुष्य को किसी को गुरु रूप में वरण नहीं करना चाहिए अपितु गुरु के भीतर छिपे अथाह ईश्वरीय प्रेम को परखकर ही उसे गुरु रूप में स्वीकार करना चाहिए। वास्तविक संत के श्रद्धापूर्वक निरंतर किये गये संग से ही संसार से सहज वैराग्य होने लगता है एवं ईश्वर अनुराग बढ़ने लगता है, यह भी उनकी पहचान का एक पैमाना है। प्रवचन के अंत में सद्गुरु महिमा संबंधित कीर्तन कराकर उन्होंने श्रोताओं को भक्ति रस में सराबोर कर दिया,पश्चात श्रीमद युगल सरकार की आरती करवा कर आज के प्रवचन को विश्राम दिया। संयोजक शरद गुप्ता ने बताया कि प्रवचन 30 जून तक प्रतिदिन साँय 6.00 बजे से 8.00 बजे तक आयोजित किए जा रहे हैं।

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ईश्वर भक्ति युक्त कर्म ही कर्मयोग है : श्रीधरी दीदी https://parishkarpatrika.com/god-is-the-eternal-relative-of-the-living-being-shridhari-didi-2/ https://parishkarpatrika.com/god-is-the-eternal-relative-of-the-living-being-shridhari-didi-2/#respond Tue, 25 Jun 2024 02:04:07 +0000 https://parishkarpatrika.com/?p=1135

न्यू सांगानेर रोड़ सोडाला स्थित हॉटेल रॉयल अक्षयम में आयोजित नौ दिवसीय धारावाहिक प्रवचन श्रृंखला के पांचवे दिन जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की शिष्या सुश्री श्रीधरी जी ने भक्तों की भारी भीड़ को संबोधित करते हुए बताया कि भक्ति के बिना कोई भी जीव भगवान को प्राप्त नहीं कर सकता। वह चाहे कर्मी हो, योगी हो, ज्ञानी हो लेकिन भक्ति का अवलंब तो सबको लेना ही पड़ता है तभी उनको लक्ष्य प्राप्त हो सकता है।

आगे उन्होने कर्मयोग के स्वरूप को स्पष्ट करते हुये बताया कि ईश्वर भक्ति युक्त कर्म ही कर्मयोग है अर्थात नित्य निरंतर प्रभु से प्रेम करते हुये संसार में अनासक्त भाव से कर्म करना ही कर्मयोग है। जैसे गोपियाँ गृहस्थ के सारे कर्म करते हुये भी निरंतर कृष्ण भक्ति में तल्लीन रहती थीं।


ऐसा कर्मयोग जीव को ईश्वर से मिला सकता है लेकिन अज्ञानतावश हम लोग उल्टा कर्मयोग करते हैं। मन को निरंतर संसार में आसक्त रखकर केवल तन से ईश्वर भक्ति का स्वांग करते हैं, इसलिए लक्ष्य से और दूर होते जाते हैं। अतः कर्मयोग को ठीक से समझकर मन को निरंतर हरि-गुरु में रखते हुये संसार के समस्त कार्य करने चाहिए। ऐसा करने से कर्म बंधन नहीं होता और जीव अपना लक्ष्य प्राप्त कर लेता है। गीता में भगवान श्री कृष्ण ने इसी सिद्धान्त का प्रतिपादन किया है।
आगे फ़िर ज्ञान मार्ग की विवेचना करते हुये उन्होंने कहा कि अपने आप को ही ब्रह्म मानने वाला ज्ञानी भी अंत में माया से हारकर सगुण साकार भगवान की शरण में जाता है तभी भगवत्कृपा से उसे वास्तविक ज्ञान प्राप्त होता है और उसकी माया निवृत्ति होती है। प्रवचन के अंत में उन्होंने कलियुग में हरिनाम संकीर्तन रूपी साधन को ही सर्वश्रेष्ठ बताते हुये संकीर्तन की महिमा पर प्रकाश डाला। पश्चात श्रीमद युगल सरकार की आरती करवा कर आज के प्रवचन को विश्राम दिया।
संयोजक शरद गुप्ता ने बताया कि प्रवचन 30 जून तक प्रतिदिन साँय 6.00 बजे से 8.00 बजे तक आयोजित किए जाएंगे।

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भगवान ही जीव का सनातन संबंधी है : श्रीधरी दीदी https://parishkarpatrika.com/god-is-the-eternal-relative-of-the-living-being-shridhari-didi/ https://parishkarpatrika.com/god-is-the-eternal-relative-of-the-living-being-shridhari-didi/#respond Mon, 24 Jun 2024 03:35:17 +0000 https://parishkarpatrika.com/?p=1123

प्रेम मंदिर वृंदावन धाम से छोटी काशी जयपुर पधारी जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज की प्रचारिका सुश्री श्रीधरी दीदी ने नौ दिवसीय धारावाहिक विलक्षण दार्शनिक प्रवचन श्रृंखला के दूसरे दिवस पर श्रद्धालु श्रोताओं की भारी भीड़ को संबोधित करते हुए बताया कि दिव्य भगवान का दिव्य अंश ‘आत्मा’ होने के कारण हमारा सनातन संबंध केवल भगवान से ही है और भगवत्प्राप्ति के लिए ही ये अमूल्य देवदुर्लभ मानव-देह हमें प्रदान किया गया है। लेकिन अनादिकाल से अपने वास्तविक स्वरूप को भूल जाने के कारण और स्वयं को देह मानने के कारण ही हम संसार मे आसक्त हैं,
उसी को अपना मानते हैं और कर्म-बंधन में बंधते चले जाते हैं। इसी के परिणामस्वरूप चौरासी लाख योनियों में भ्रमण करते हुये आज तक दु:ख भोग रहे हैं। इन दु:खों से छुटकारा पाने के लिये हमें भगवान के साथ अपने संबंध ज्ञान को दृढ़ करके उनके शरणागत होना होगा और शरणागत होने के लिये संसार की नश्वरता और असारता पर बार-बार विचार करके मन को वहाँ से विरक्त करना होगा।


शरणागति के स्वरूप को विस्तार से स्पष्ट करते हुए उन्होनें बताया कि पूर्ण कर्तृत्वाभिमान रहित अवस्था का नाम ही शरणागति है। साथ ही अनेकानेक उदाहरणों द्वारा भगवान की भक्तवत्सलता का वर्णन करते हुए उन्होने बताया कि भगवान अपने शरणागत भक्त के क्रीत दास बन जाते हैं,उस भक्त के आगे अपनी भगवतत्ता भूल जाते हैं। आगे उन्होनें शरणागति का अर्थ स्पष्ट करते हुये बताया गया कि अपने जीवन की डोर भगवान के हाथ में सौंपकर अनासक्त भाव से संसार में कर्म करना ही शरणागति है। एक अबोध शिशु की भांति पूर्ण साधनहीन निश्छल बनकर व्याकुलतापूर्वक मांगने से ही भगवान की पूर्ण कृपा प्राप्त हो जाती है और भवबंधन छूट जाता है।
संयोजक शरद गुप्ता ने बताया कि आगे इसी प्रवचन श्रंखला में श्रीधरी दीदी द्वारा भक्ति मार्ग की विवेचना करते हुये कलियुग में सर्वसुगम सर्वसाध्य साधना भक्ति कैसे की जाय, इसका निरूपण किया जाएगा। 22 जून से प्रारम्भ हुए ये दिव्य प्रवचन प्रतिदिन साँय 6.00 बजे से 8.00 बजे तक 30 जून तक न्यू सांगानेर रोड़ सोडाला स्थित हॉटेल रॉयल अक्षयम में आयोजित किए जा रहे हैं। आज प्रवचन का दूसरा दिन था। प्रवचन के साथ-साथ सभी भक्तजन संकीर्तन के रस में भी सराबोर हो रहे हैं और रूपध्यान के माध्यम से साधना का अभ्यास कर रहे हैं।

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जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की शिष्या सुश्री श्रीधरी दीदी के नौ दिवसीय विलक्षण धारावाहिक दार्शनिक प्रवचन का जयपुर में आयोजन https://parishkarpatrika.com/organization-of-nine-day-unique-serial-philosophical-discourse-of-ms-sridhari-didi-disciple-of-jagadguru-shri-kripalu-ji-maharaj-in-jaipur/ https://parishkarpatrika.com/organization-of-nine-day-unique-serial-philosophical-discourse-of-ms-sridhari-didi-disciple-of-jagadguru-shri-kripalu-ji-maharaj-in-jaipur/#respond Sat, 22 Jun 2024 03:28:52 +0000 https://parishkarpatrika.com/?p=1119

न्यू सांगानेर रोड़ सोडाला स्थित हॉटेल रॉयल अक्षयम में आयोजित नौ दिवसीय धारावाहिक प्रवचन श्रृंखला में प्रेम मंदिर वृंदावन धाम से छोटी काशी जयपुर पधारी श्रीधरी दीदी जी समस्त शास्त्रीय प्रमाणों, तर्कों एवं दैनिक उदाहरणों द्वारा जीव का स्वरूप एवं लक्ष्य, भगवान से जीव का संबंध, मानव देह का महत्व एवं क्षणभंगुरता, भगवत्कृपा, शरणागति, वैराग्य एवं संसार का स्वरूप, गुरुतत्व, रूपध्यान, कर्मयोग, ज्ञानयोग इत्यादि विषयों पर प्रकाश डालते हुये भक्तियोग की उपादेयता सिद्ध करके शीघ्रातिशीघ्र लक्ष्य दिलाने वाली साधना का निरूपण करेंगी। इस नौ दिवसीय दिव्य प्रवचन श्रृंखला का आयोजन दिनाँक 22 जून 2024 से 30 जून 2024 तक प्रतिदिन साँय 6:00 से 8:00 बजे तक किया जायेगा।

श्रीधरी दीदी ने बताया कि यह देव दुर्लभ मानव देह सद्गुरु की शरणागति में भगवत्प्राप्ति के लिए ही भगवान ने अपनी अकारण करुणा से हमें प्रदान किया है लेकिन परलोक में सद्गति प्राप्त करने के लिए हमने अब तक कोई तैयारी नहीं की। हमारे हठी एवं अहंकारी मन ने जीवन की इस गोधूलि बेला में भी भीषण तम परिपूर्ण पथ पर चलते हुए कभी उस और दृष्टिपात नहीं किया जहां दिव्य ज्ञान ,दिव्य प्रेम एवं दिव्य आनंद की वर्षा हो रही है। वेदों के अनुसार केवल वास्तविक गुरु के पावन सानिध्य एवं शरणागति से ही जीव का अज्ञान अंधकार समाप्त हो सकेगा एवं जीव भगवतप्राप्ति की और अग्रसर हो सकेगा। इसी तथ्य को मस्तिक्ष में रखते हुए ही इस प्रवचन का आयोजन किया गया है। ये दिव्य प्रवचन श्रवण एक ऐसा दुर्लभ अवसर है जो श्रोताओं की आत्मा को तृप्ति प्रदान करेगा। इस प्रवचन का प्रारूप किसी भी प्रकार के आडंबर से रहित है।इस विकराल कलिकाल में अनेक अज्ञानी असंतो द्वारा ईश्वरप्राप्ति के अनेक मनगढ़ंत मार्गों, अनेकानेक साधनाओं का निरूपण सुनकर भोले भाले मनुष्य कोरे कर्मकाण्डादि में प्रवृत्त होकर भ्रान्त हो रहे हैं एवं अपने परम चरम लक्ष्य से और दूर होते जा रहे हैं। ऐसे में विविध दर्शनों के विमर्श से अनिश्चय के कारण, व्याकुल एवं भटके हुये भवरोगियों के लिए पंचम मूल जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के प्रवचन अमृत औषधि के समान हैं।
संयोजक शरद गुप्ता ने बताया कि अपने सद्गुरुदेव के कृपा प्रसाद से ही उनकी विदुषी प्रचारिका सुश्री श्रीधरी जी उनके समस्त शास्त्रों, वेदों एवं अन्यान्य धर्मग्रन्थों के सार स्वरूप विलक्षण दार्शनिक सिद्धान्त “कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन” को अपने ओजस्वी धारावाहिक प्रवचनों के माध्यम से जन-जन में प्रचारित करते हुये जीवों को श्री राधाकृष्ण की निष्काम भक्ति की ओर प्रेरित कर रही हैं।

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रिलायंस जियो को मिला अंतरराष्ट्रीय ‘सीडीपी क्लाइमेट’अवार्ड https://parishkarpatrika.com/reliance-jio-receives-international-cdp-climate-award/ https://parishkarpatrika.com/reliance-jio-receives-international-cdp-climate-award/#respond Sat, 15 Jun 2024 06:44:09 +0000 https://parishkarpatrika.com/?p=1105

नई दिल्ली, 14 जून 2024: रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड ने वर्ष 2022-23 के लिए प्रतिष्ठित ‘सीडीपी क्लाइमेट’ अवार्ड हासिल किया है। कार्बन डिसक्लोजर प्रोजेक्ट (सीडीपी) ने जियो को जलवायु परिवर्तन को थामने और कार्बन फुटप्रिंट कम करने के प्रयासों के लिए ए रेटिंग दी है। 2019 के बाद यह पहला मौका है जब जियो को यह सम्मान मिला है। भारतीय दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल को बी रेटिंग दी गई है।

सीडीपी ए रेटिंग उन्हीं कंपनियों को देती है जो पर्यावरण के क्षेत्र में अग्रणी होती हैं। जियो के प्रवक्ता ने कहा, “हमें गर्व है कि जलवायु परिवर्तन से जुड़ा दुनिया का सबसे बड़ा अवार्ड हम जीत पाए। कार्बन फुटप्रिंट कम करने में रिलायंस जियो की लीडरशिप के विजन और प्रतिबद्धता ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।”इसके अतिरिक्त, जियो को “सीडीपी सप्लायर एंगेजमेंट” में भी ए रेटिंग मिली है।

सीडीपी ने बताया कि ए रेटिंग पाने वाली कंपनियां जलवायु परिवर्तन के प्रति सबसे जागरूक और पारदर्शी होती हैं। यह रेटिंग पर्यावरण मानकों पर आधारित होती है, जिससे कंपनियों के बीच तुलनात्मक अध्ययन किया जा सकता है।

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गोपी प्रेम ही सर्वोच्च प्रेम : श्रीधरी दीदी https://parishkarpatrika.com/gopi-love-is-the-supreme-love-shridhari-didi/ https://parishkarpatrika.com/gopi-love-is-the-supreme-love-shridhari-didi/#respond Wed, 29 May 2024 07:27:42 +0000 https://parishkarpatrika.com/?p=1024

वृंदावन विहार पत्रकार कॉलोनी रोड़ स्थित ‘प्रेम सत्संग भवन’ में 18 मई से 26 मई तक आयोजित नौ दिवसीय विलक्षण दार्शनिक प्रवचन श्रंखला के अंतिम दिवस जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की शिष्या सुश्री श्रीधरी दीदी ने भक्ति तत्व की गूढ़तम व्याख्या के साथ निष्काम प्रेम के सिद्धान्त का प्रतिपादन करते हुए बताया कि गोपी प्रेम अर्थात निष्काम प्रेम ही सर्वोच्च प्रेम है। इस प्रेम में प्रेमी के हृदय में अपने सुख की लेशमात्र भी कामना नहीं होती वो निरंतर केवल अपने प्रेमास्पद के सुख के लिए ही कामना करता है और उनको सुखी करने के लिए ही प्रयत्नशील रहता है।

ऐसा निष्काम प्रेम जीवों को आध्यात्मिक जगत की सर्वोच्च कक्षा तक ले जाता है। ऐसे प्रेमी ही महारास के अधिकारी बनते हैं। ऐसे प्रेम की उदाहरण केवल बृजगोपियाँ हैं जिनकी चरण धूलि की कामना ब्रह्मा, विष्णु और शंकर भी किया करते हैं। उनके ऐसे प्रेम के कारण ही श्री कृष्ण स्वयं उस प्रेम के ऋणी हो गए। इसी प्रेम को लक्ष्य बनाकर हमें आगे बढ़ना चाहिये, निष्काम प्रेमी का साधनावस्था में भी कभी पतन नहीं होता।


सुश्री श्रीधरी जी ने भक्ति तत्व की सरलतम व्याख्या के साथ श्रोताओं को भक्ति रस में सराबोर करते हुये अपने प्रवचन में बताया कि भगवान से प्रेम करने के लिए रसिकों ने पाँच भाव बताए हैं। शांत, दास्य, सख्य, वात्सल्य एवं माधुर्य भाव। ये पाँच भाव भगवान तक पहुँचने की पगडंडियाँ हैं जिनके माध्यम से जीव शीघ्र ही अपने लक्ष्य तक पहुँच सकता है। लेकिन इन पाँच भावों में से माधुर्य भाव ही सबसे सरस और सर्वश्रेष्ठ है क्योंकि इस संबंध में भक्त और भगवान के बीच कोई दूरी नहीं रहती, पूर्ण आत्मीयता हो जाती है एवं हर भाव में जाने की स्वतन्त्रता होती है।
वे ही हमारे सर्वस्व हैं यही माधुर्य भाव का वास्तविक स्वरूप है। उच्च कोटि के रसिकों ने इसी भाव को अपनाने की राय दी है क्योंकि ये भाव जीव को प्रेम की अंतिम कक्षा तक ले जा सकता है।
अंत में दीदी द्वारा करवाये भावपूर्ण संकीर्तन ‘आजा आजा राधे, आ के ना जा मेरी राधे’ की पंक्तियों पर समस्त भक्तगण आनंद मगन हो गए। पश्चात दीदी ने श्री हरिगुरु की आरती करवा कर अपने नौ दिवसीय प्रवचन को विश्राम दिया।संयोजक शरद गुप्ता ने बताया कि ‘प्रेम मंदिर वृंदावन धाम’ से छोटी काशी जयपुर पधारी सुश्री श्रीधरी दीदी जी का अगला प्रवचन जयपुर ही में दिनाँक 22 जून से 30 जून तक विवेक विहार मेट्रो स्टेशन के पास राम नगर स्थित होटल रॉयल अक्षयम में आयोजित होगा।

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संसार में रहकर कर्मयोगी बनो :- श्रीधरी दीदी https://parishkarpatrika.com/shridhari-didi-live-in-this-world-and-become-a-karmayogi/ https://parishkarpatrika.com/shridhari-didi-live-in-this-world-and-become-a-karmayogi/#respond Mon, 20 May 2024 03:37:20 +0000 https://parishkarpatrika.com/?p=1007

वृंदावन विहार पत्रकार कॉलोनी रोड़ स्थित ‘प्रेम सत्संग भवन सदन’ में 18 मई से 26 मई तक आयोजित नौ दिवसीय विलक्षण दार्शनिक प्रवचन श्रंखला के द्वितीय दिवस जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज की प्रचारिका सुश्री श्रीधरी दीदी ने श्रद्धालु श्रोताओं की भारी भीड़ को संबोधित करते हुए कर्मयोग के स्वरूप को स्पष्ट करते हुये बताया कि ईश्वर भक्ति युक्त कर्म ही कर्मयोग है, अर्थात नित्य निरंतर प्रभु से प्रेम करते हुये संसार में अनासक्त भाव से कर्म करना ही कर्मयोग है। जैसे गोपियाँ गृहस्थ के सारे कर्म करते हुये भी निरंतर कृष्ण भक्ति में तल्लीन रहती थीं। ऐसा कर्मयोग जीव को ईश्वर से मिला सकता है लेकिन अज्ञानतावश हम लोग उल्टा कर्मयोग करते हैं। मन को निरंतर संसार में आसक्त रखकर केवल तन से ईश्वर भक्ति का स्वांग करते हैं, इसलिए लक्ष्य से और दूर होते जाते हैं। अतः कर्मयोग को ठीक से समझकर मन को निरंतर हरि-गुरु में रखते हुये संसार के समस्त कार्य करने चाहिए। ऐसा करने से कर्म बंधन नहीं होता और जीव अपना लक्ष्य प्राप्त कर लेता है। गीता में भगवान श्री कृष्ण ने इसी सिद्धान्त का प्रतिपादन किया है। सुश्री श्रीधरी जी ने अनेक शास्त्रीय प्रमाणों, तर्क सम्मत युक्तियों एवं अनेकानेक उद्धरणों के माध्यम से संसार के स्वरूप पर भी प्रकाश डाला,उन्होनें बताया की संसार में जिस सुख का अनुभव हम करते हैं वो वास्तव में सुख का भ्रम है, वो क्षणिक और नश्वर सुख है। वास्तविक सुख तो एक बार मिलने पर सदा के लिए प्राप्त हो जाता है, वह अनंत मात्रा का होता है और प्रतिक्षण बढ़ता जाता है। इसलिए सदा-सदा के लिए आनंदमय होने के लिए हमें ईश्वर को प्राप्त करने का प्रयत्न करना चाहिए और संसार के वास्तविक स्वरूप को भलीभाँति समझकर, यहाँ के भ्रामक सुख को मृगतृष्णा के समान जानकर त्याग देना चाहिए।


अंत में ‘राधे गोविंदा भजो’ संकीर्तन के साथ एवं हरि-गुरु आरती के साथ उन्होंने प्रवचन को विश्राम दिया।

संयोजक शरद गुप्ता ने बताया कि आगे इसी प्रवचन श्रंखला में श्रीधरी दीदी जी द्वारा भक्ति मार्ग की विवेचना करते हुये कलियुग में सर्वसुगम सर्वसाध्य साधना भक्ति कैसे की जाय, इसका निरूपण किया जाएगा। प्रवचन प्रतिदिन साँय 6.00 बजे से 7.30 बजे तक आयोजित किए जा रहे हैं।

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जीव का सनातन संबंधी भगवान: श्रीधरी दीदी https://parishkarpatrika.com/lord-sridhari-didi-the-eternal-relative-of-the-living-being/ https://parishkarpatrika.com/lord-sridhari-didi-the-eternal-relative-of-the-living-being/#respond Sun, 19 May 2024 04:45:11 +0000 https://parishkarpatrika.com/?p=993  नौ दिवसीय विलक्षण दार्शनिक प्रवचन श्रंखला का प्रथम दिवस

वृंदावन विहार पत्रकार कॉलोनी रोड़ स्थित ‘प्रेम सत्संग भवन सदन’ में 18 मई से 26 मई तक आयोजित नौ दिवसीय विलक्षण दार्शनिक प्रवचन श्रंखला के प्रथम दिवस जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज की प्रचारिका सुश्री श्रीधरी दीदी ने श्रद्धालु श्रोताओं की भारी भीड़ को संबोधित करते हुए बताया कि दिव्य भगवान का दिव्य अंश ‘आत्मा’ होने के कारण हमारा सनातन संबंध केवल भगवान से ही है और भगवत्प्राप्ति के लिए ही ये अमूल्य देवदुर्लभ मानव-देह हमें प्रदान किया गया है।

लेकिन अनादिकाल से अपने वास्तविक स्वरूप को भूल जाने के कारण और स्वयं को देह मानने के कारण ही हम संसार मे आसक्त हैं, उसी को अपना मानते हैं और कर्म-बंधन में बंधते चले जाते हैं। इसी के परिणामस्वरूप चौरासी लाख योनियों में भ्रमण करते हुये आज तक दु:ख भोग रहे हैं। इन दु:खों से छुटकारा पाने के लिये हमें भगवान के साथ अपने संबंध ज्ञान को दृढ़ करके उनके शरणागत होना होगा और शरणागत होने के लिये संसार की नश्वरता और असारता पर बार-बार विचार करके मन को वहाँ से विरक्त करना होगा। तत्पश्चात एक श्रोतिय-ब्रह्मनिष्ठ महापुरुष को गुरु रूप में वरण करके उनके द्वारा निर्दिष्ट साधना करनी होगी। इस प्रकार साधना द्वारा ही अंतःकरण शुद्ध होगा।

संयोजक शरद गुप्ता ने बताया कि आगे इसी प्रवचन श्रंखला में श्रीधरी दीदी जी द्वारा भक्ति मार्ग की विवेचना करते हुये कलियुग में सर्वसुगम सर्वसाध्य साधना भक्ति कैसे की जाय, इसका निरूपण किया जाएगा। प्रवचन प्रतिदिन साँय 6.00 बजे से 7.30 बजे तक आयोजित किए जा  रहे हैं। आज प्रवचन का प्रथम दिन था। प्रवचन के साथ-साथ सभी भक्तजन संकीर्तन के रस में भी सराबोर हो रहे हैं और रूपध्यान के माध्यम से साधना का अभ्यास कर रहे हैं।

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