
ब्यूरो चीफ रविसिंह किरार/ परिष्कार पत्रिका जयपुर। राजस्थान विधान सभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा है कि शिक्षा के साथ संस्कार आवश्यक है। विद्यास्थली विद्यालय की तरह अन्य विद्यालयों को भी सनातन संस्कृति का पोषक होना चाहिए। उन्होंने कहा कि रामायण हमारी जीवन शैली और गीता जीवन यापन का तरीका बताती हैं। इन दोनों ग्रन्थों के अध्?ययन से हम हमारी पारिवारिक और सामाजिक समस्याओं का निदान कर सकते है। देवनानी जयपुर स्थित बिडला सभागार में विद्यास्थली पब्लिक स्कूल के वार्षिक उत्सव को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने दीप प्रज्ज्वलित कर व मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर समारोह का विधिवत शुभारम्भ किया। देवनानी ने नन्ने-मुन्ने बच्चों द्वारा प्रस्तुत किये गये सांस्कृतिक कार्यक्रमों की सराहना की। देवनानी ने कहा कि बच्चों पर किसी भी प्रकार का दबाव नहीं बनाया जाना चाहिए। बच्चों को अपना जीवन स्वयं बनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए। इसके लिए विद्यालयों और घरों में सकारात्मक वातावरण बनाये जाने की आवश्यकता है। बच्चे अपना लक्ष्य तय करें और जो भी कार्य करें, देश के लिए करें, देश के लिए जिये और देश के लिए ही कमाएं। समारोह को जयपुर नगर निगम के उप महापौर पुनीत करनावट ने भी सम्बोधित किया। समारोह में कोटा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर बीएल वर्मा, शिक्षाविद डॉ विजय कुमार वशिष्ठ, विद्यालय के निदेशक योगेन्द्र सहित शिक्षक और अभिभावकगण मौजूद थे। समारोह में विद्यालय की प्राचार्य संध्या सिंह ने वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।