परिष्कार पत्रिका जयपुर। जैन विश्वभारती संस्थान के शिक्षा विभाग में सोमवार को मकर संक्रांति कार्यक्रम का आयोजन किया गया। विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने कार्यक्रम में मकर संक्रांति के बारे में विस्तार से बताते हुए बताया कि यह पर्व पूरे भारत मेंधूमधाम से मनाया जाता है। उत्तरायण गति प्रारंभ होने और दिन बड़े होने का क्रम मकर संान्ति से प्रारम्भ हो जाता है। रोहिणी नक्षत्र में शुक्ल पक्ष मांगलिक कार्यों के लिए श्रेष्ठ माना गया है। गरीबों का सम्मान करने और उन्हें दान देने की परंपरा इस पर्व पर पाई जाती है। इस पर्व पर तिल, मूंगफली, मक्का, गुड आदि खाना श्रेष्ठ माना जाता है। इस पर्व पर पतंग उड़ाने, क्रिकेट खेलने तथा अन्य पारंपरिक खेलों को खेलने की परम्परा पायी जाती है। इस पर्व पर दान, स्नान, भगवान सूर्य की पूजा, सूर्य मंत्र का जाप, गंगा में स्नान या पानी में गंगाजल डालकर के स्नान करना, काले रंग के कपड़े पहनना श्रेष्ठ माना जाता है। इस पर्व को विभिन्न प्रांतो में अलग-ंउचयअलग नाम से जाना जाता है, उत्तर प्रदेश में खिचड़ी, राजस्थान में मकर संक्रान्ति, केरल में पोंगल, कर्नाटक में सुग्गी हब्बा, असम में माघ बिहू, कश्मीर घाटी में शिशुर सैकरात के रूप में मनाया जाता है। कार्यक्रम में शिक्षा विभाग के डॉ. मनीष भटनागर, डॉ. विष्णु कुमार, डॉ. गिरिराज भोजक, डॉ. गिरधारीलाल, खुशाल जांगिड, डॉ. सरोज रॉय, डॉ.आभा सिह आदि एवं शिक्षा विभाग की बी.एड, बी.ए-ंउचयबी.एड एवं बी.एस.सी-ंउचयबी.एड की छात्राध्यपिका उपस्थित रही।